શનિવાર, 9 ફેબ્રુઆરી, 2013

यही तो रहा है आज 'करतब'



ये लड़की चाहे कितना भी पसीना बहाए, रस्सी पर अपनी एडिया घिस ले मगर उसे मिलाता क्या है? सिर्फ दो वक्त की रोटी। चाहे कितने भी करतब करे मगर उसे बहेतारिन जीवन नहीं मिलेगा। लोगो का तो काम ही है तालीया पीटना। जीतनी देर तक ये लड़की रस्सी पर चलती है उतनी देर तक तो वो लोगो के दिमाग में भी नहीं रहेगी। पाच - दस रुपये फेक कर चले जायेंगे। और लोग के पास समय भी नहीं है। उन लोगो के पास भी सोचने के लिए समय नहीं जो समाज के ठेकेदार बन कर बैठ गए है। हम तो आम आदमी है। मगर हम नहीं सोचते की उन्हें ठेकेदार बनता कौन है? और इस लड़की ने ऐसा भी क्या करतब कर दिया। करतब तो वो लोग करते है जो दिखता ही नहीं। बड़े बड़े जादू करते है वो लोग। कैसे करोडो रुपये विदेशी बेंको में जमा हो जाते है पता ही नहीं चलता। मगर लोगो का काम है सिर्फ ताली बजाना। बड़े बड़े लोगो के बड़े बड़े करतब। आम आदमी को समज में नहीं आते। दिखाने वाला भी तो कोई नहीं। दिखाने वाले भी वही दिखाते है जो दिखाने की उन्हें कीमत मिलती है। बड़े बड़े लेखानिकार भी ग्लोबल बनना चाहते है। तभी तो वे बड़ा बनते है। राह दिखाने वाले भी राह भटक गए है और वे भी भटक भटक कर दम तोड़ देंगे। करतब तो हर रोज सुबह साम रात दिन होते रहेते है। वादे करके छू मंतर हो जाना ये भी तो एक करतब है। मासूम और बेकसूर लोगो की जिन्दगिया हलके से तबाह हो जाती है और डटके लड़ने वाले को सुरंग से पत्थर की तरह तोडा जाता है। किसी को फोड़ा जाता है। कुछ लोग बड़ी खूबसूरती से अपना जादू चलाते है। आसमान की बुलंदियों पर बिठाया जाता है मगर बिठाने वाले कौन है? हेर तंगेज कारनामे होते ही रहेते है। किसी को चुपके से  दफ़न कर दिया जाता है पता ही नहीं चलता। लोग फिर तालिय बजाते है। पिछले करतब दिमाग से ओजल हो जाते है। और याद भी कितना रखे? जादू है नशा है मदहोसिया है---

हर दिन नया करतब और हर रात नए जादू। बिना कुछ उपलब्धि के उपलब्धियो के चित्र दिखाए जाते है। हमने ये किया, हम वो करेंगे, हम ये देंगे, हम वो दिलवाएंगे। आम आदमी को तो सिर्फ ताली ही बजानी है। पैसे देकर करतब देख लिया और अब तो एक मशीन पर उंगली दबाकर नए करतब के लिए पंजीकरण करावा लिया। उन लोगो के बंगले की हिफाजत करते है जो उनकी जोपडिया जलाने पे तुले हुए है। सर कट जाते है और चीखने की आवाज तक नहीं आती।